Tuesday 14 August 2018

इक छोटासा टुकड़ा आसमान का

नमश्कार दोस्तों, डायरी के पन्ने पलटते समय ये छोटासा टुकड़ा हाथ लग गया आसमान का, जो चुपकेसे तोड़ लिया था कभी. पर समय के साथ so called practical life में कुछ भूल सी गयी थी.  अब जब याद आ गयी है उसकी तो मालूम हो रहा है वो कही छुप कर बैठा है और साथ साथ मेरे ऐसे ही कुछ और साथियों को भी ले चला है. आपको दिख जाए तो इत्तेलाह जरूर कीजियेगा, अब जब खोने का एहसास हुआ है उन्हें तो एहमियत पता चल रही है उनकी. साथ निभाने का वादा जरूर करुँगी अगर मिल जाए ये साथी मेरे.  देखें. . .

इक छोटासा टुकड़ा आसमान का
नजर बचाके सबकी तोड़ लिया था कभी चुपकेसे
पता नहीं कहा छुपकर बैठा है

परेशान इसलिए भी हूँ
के कम्बख़त ने मेरी ख्वाहिशों को भी अपनी टीम में शामिल कर लिया है
और उनको ढूंढते राह चलते पता नहीं
शायद मेरे ख्वाबों ने भी उन्हें जॉइन कर लिया है कही

आपको दिख जाएँ अगर तो नजर रखियेगा जरा
आसमान कुछ हलके भूरे रंगो के कपड़ें पहने हुए है
ख्वाहिशें बड़ी मासूम और नन्ही है मेरी
रंगबिरंगी तितलियों जैसी
ख्वाबों का कद् ऊँचा है मेरे ,
रंगो का तो पता नहीं पर बड़ी सी चादर लपेटें हुए घूमता है
जाने क्या क्या समेटे हुए रहता है.

आपको दिख जाए अगर तो खबर कीजिएगा जरूर
एक छोटासा टुकड़ा है आसमान का
पता नहीं कहा छुप कर बैठा है



शुक्रिया. .


प्राची खैरनार.



Copyright © Prachi Khairnar.

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