बहोत दिनों बाद कुछ हस पड़ा ये दिल है आज
कुछ हसीं लम्हों ने फिर से भर दिया ये दामन है आज
कुछ अनछूएसे तार छेड़ दिए यूँ किसी ने आज
बिखरे से सुरों में मिल रहा अलग सुर है आज
चाँद तो आज भी बादलों से तक रहा है लेकिन
कई अनगिनत सितारों ने भर दिया ये मेरा आँगन है आज
बहोत दिनों बाद कुछ हस पड़ा ये दिल है आज
कुछ हसीं लम्हों को फिर से जी भर के जी लिया है आज
कैसे बयाँ करें खुद से हुई मुलाकात का मज़ा
खुद को खो कर शायद खुद को पा लिया है आज
यूँ तो कई बार खुद से रूठने मनाने के सिलसिले हुए मगर
खुद से ही खुद को जीत लेने के एहसास को जिया है आज
यूँ तोह एहसास एक जज्बा है फिर भी
उसी एहसास को जुबाँ मिल गयी है आज
बहोत दिनों बाद कुछ हस पड़ा ये दिल है आज
कुछ हसीं लम्हों ने फिर से भर दिया ये दामन है आज
धन्यवाद!
प्राची खैरनार.
Copyright © Prachi Khairnar.
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